आजकालकि लौडिया घाँस काटनको बहनासे लौडासे भेटए,
अगर दोनोकि बात मिलजाए त बे गेहुकि गेणामे लेटए ।
कोई लौडिया घाँस काटनकि बहनासे करए फोनमे बात ,
थैली बिन्की पुरी भरए नए घर पुगत पुगत हुइजाए रात ।
नाच नाचके कटाएदेमए लौडिया समासी दिन ,
एक घरी फिर न रहिपात हए टिकटकके बिन ।
जहाँ फिर आजकाल सबकी मोबाइलमे खोबए टिकटक हए चलो ,
कहत टिकटक चलायौ खोब लौडा लौडियाकि होत हए भलो ।