पदम राना
नंगी देह लैके आए वंदे,नंगी देह लैके जावैगे
सारी उमर सिंगारे जा तनके,मुफत समय गमावैगे
ओढ चदरिया जीवनकी, अपनो चोला भरमावैगे
इक दिन ऐसोआवैगो, पवन चले सव उड् जामंगे
बैश भई जा तन के खुव सिंगारे, परछाही देखके मनय मन मुस्कावैगे
जब भई जा तन पुरानी बीरन, देख देख मुरझुरावैगे ।।
कोई नघोटी वांधे फिरयं,कोई धोती लपेटैगे
कोई झगिया, फेंटा कसे, कोई हार घुंघाट लटकाबैगे ।।
गुमान कौन वात की हायं,सव पावं पसारे जावैगे
सारी उमर जो जो से तनके तोपे,अन्तकाल कप्फन मे लिपटैगे ।।
सगो सहोदर कोई नए जगमे, आधी राहमे सब छोडंगे
भ्रम करके जौनके अपनो कहे, बेंही तुम्हय राख बनामेंगे ।।
जा कप्फनको कोई जात नाए, नाए कोईके पहिचानय
जा के खरीदके कौन लाव, पैधनव बारो नाए जानय ।।